Aaj Ka Choghadiya: चौघड़िया पंचांग एक वैदिक हिंदू कैलेंडर है । हर दिन के लिए दीना , नक्षत्र , तिथि , योग , करण दिखाना,दुनिया के हर शहर के सूर्यास्त और सूर्योदय के आधार पर दुनिया के किसी भी शहर के लिए स्वचालित समायोजन के साथ ।
चौघड़िया ज्योतिष की एक ऐसी तालिका है जो खगोलिय स्थिति के आधार पर दिन के 24 घंटों की दशा बताती है । इसमें प्रतिदिन के लिये दिन, नक्षत्र, तिथि, योग एवं करण दिये होते हैं ।
ग्रहों की स्थिति पर आधारित ऐसी दशाओं में से दिन और रात्रि में पूजा, विवाह समारोह, त्योहारों आदि के हेतु शुभ एवं अशुभ समयों को इस सारिणी के विभिन्न तालिकाओं में वर्गीकृत किया जाता है ।
चौघडिया पंचांग हिन्दू वैदिक कैलेण्डर का एक रूप या अंग होता है । इसमें प्रतिदिन के लिये दिन, नक्षत्र, तिथि, योग एवं करण दिये होते हैं। इनके लिये प्रत्येक नगर या स्थान के लिये वहां के सूर्योदय एवं सूर्यास्त से संबंधित स्वतः सुधार होता है ।
यदि कभी किसी कार्य के लिए कोई मुहूर्त नहीं निकल रहा हो एवं कार्य को शीघ्रता से आरंभ करना हो या किसी यात्रा पर आवश्यक रूप से जाना हो तो उसके लिए चौघड़िया मुहूर्त देखने का विधान है । ज्योतिष के अनुसार चौघड़िया मुहूर्त देखकर वह कार्य या यात्रा करना उत्तम होता है ।
Aaj Ka Choghadiya – आज और कल का चौघड़िया देखें
चौघड़िया की गणना के लिए, प्रत्येक दिन को दो समय अवधि में विभाजित किया जाता है । दिनमान जो सूर्योदय से सूर्यास्त तक की अवधि है रात्रि-समय जो सूर्यास्त से सूर्योदय तक की अवधि है ।
इन दो भागों को फिर आठ बराबर भागों में विभाजित किया जाता है । इन आठ विभाजनों में से प्रत्येक चार एक घड़ी के बराबर है और समय के इस विभाजन को चौघड़िया कहा जाता है ।
एक तिथि के लिये दिवस और रात्रि के आठ-आठ भाग का एक चौघड़िया निश्चित है । इस प्रकार से 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात मानें तो प्रत्येक में 90 मिनट यानि 1.30 घण्टे का एक चौघड़िया होता है जो सूर्योदय से प्रारंभ होता है ।
इस प्रकार सातों वारों के चौघड़िए अलग-अलग होते हैं । सामान्य रूप से अच्छे चौघड़िए शुभ, चंचल, अमृत और लाभ के माने जाते हैं तथा बुरे चौघड़िये उद्वेग, रोग और काल के माने जाते हैं ।
चर में चक्र चलाइए उद्वेगे थलगार । शुभ में स्त्री सिंगार करे लाभ करो व्यापार । रोग में रोगी स्नान करे। काल करो भंडार । अमृत में सब काम करें । सहाय करे करतार ।
अर्थात चर में यात्रा वाहन मशीन संबंधित कार्य करने चाहिए । उद्वेग में जमीन से संबंधित काम तथा स्थायी कार्य करना चाहिए। शुभ में स्त्रियों को सिंगार आदि मांगलिक कार्य करें ।
लाभ में व्यापार नौकरी आदि कर्म करें। रोग में रोगियों को रोगमुक्त होने पर स्नान करना चाहिए । काल में धन संग्रह आदि करे । अमृत में सभी प्रकार के कार्य कर सकते हैं ।
चौघड़िया का महत्व
चौघड़िया मुहूर्त वैदिक हिंदू कैलेंडर, पंचांग का एक अभिन्न हिस्सा है । चौघड़िया का प्रत्येक भाग दिन की तारीख और समय के आधार पर समान रूप से लाभप्रद या नुकसानदेह हो सकता है । चौघड़िया विभिन्न पहलुओं पर तय किया जाता है । दिन के पहले चौघड़िया की गणना दिन के स्वामी ग्रह के आधार पर की जाती है ।
आज का चौघड़िया
Aaj Ka Choghadiya – शुक्रवार, 21 जून 2024
दिन चौघड़िया
मुहूर्त | समय |
---|---|
चर | 05:12:35 AM – 06:55:59 AM |
लाभ | 06:55:59 AM – 08:39:22 AM |
अमृत | 08:39:22 AM – 10:22:45 AM |
काल | 10:22:45 AM – 12:06:008 PM |
शुभ | 12:06:008 PM – 01:49:32 PM |
रोग | 01:49:32 PM – 03:32:55 PM |
उद्वेग | 03:32:55 PM – 05:16:18 PM |
चर | 05:16:18 PM – 06:59:42 PM |
रात चौघड़िया
मुहूर्त | समय |
---|---|
रोग | 06:59:42 PM – 08:16:18 PM |
काल | 08:16:18 PM – 09:32:55 PM |
लाभ | 09:32:55 PM – 10:49:32 PM |
उद्वेग | 10:49:32 PM – 12:06:008 AM, 22 जून |
शुभ | 12:06:008 AM – 01:22:45 AM, 22 जून |
अमृत | 01:22:45 AM – 02:39:22 AM, 22 जून |
चर | 02:39:22 AM – 03:55:59 AM, 22 जून |
रोग | 03:55:59 AM – 05:12:35 AM, 22 जून |
चौघड़िया के प्रकार
चौघड़िया मुहूर्त मुख्य रूप से 7 तरह के होते है जो अमृत, शुभ, लाभ,चर, रोग, काल और उद्वेग है। इसमें अमृत, शुभ, लाभ और चर को शुभ चौघड़िया माना जाता है और उदवेग, काल एवं रोग को अशुभ चौघड़िया माना गया है ।
ऐसा कहा जाता है की अमृ्त समय में पूजा या समारोह करने से यह शुभ फल देता है । लाभ समय में क्रय-विक्रय के कार्य, चर और शुभ समय में गतिशील वस्तुएं की खरीदारी के लिए इन मुहूर्त का प्रयोग किया जा सकता है । इस तरह रोग के समय में यात्रा की शुरुआत करना अशुभ माना गया है ।
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उद्वेग चौघड़िया
ज्योतिष में सूर्य के प्रभाव को आमतौर पर अशुभ माना गया है इसीलिए इसे उद्वेग के रूप में चिह्नित किया जाता है। हालांकि, इस चौघड़िया में सरकारी कार्यों को किया जा सकता है ।
चर चौघड़िया
शुक्र को एक शुभ और लाभकारी ग्रह माना जाता है । इसलिए इसे चर या चंचल रूप में चिह्नित किया गया है । शुक्र की चर प्रकृति के कारण, चर चौघड़िया को यात्रा उद्देश्य के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है ।
लाभ चौघड़िया
बुध ग्रह भी शुभ और लाभदायक ग्रह है इसलिए इसे लाभ के रूप में चिह्नित किया गया है । लाभ के चौघड़िया में शिक्षा या किसी विद्या को सिखने का कार्य प्रारंभ किया जाता है तो वह फलदायी होता है ।
अमृत चौघड़िया
चंद्र ग्रह अति शुभ और लाभकारी ग्रह है । इसीलिए इसे अमृत के रूप में चिह्नित किया गया है । अमृत चौघड़िया को सभी प्रकार के कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है ।
काल चौघड़िया
शनि एक पापी ग्रह है इसीलिए इसे काल के रूप में चिह्नित किया गया है । काल चौघड़िया के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। हालांकि, कुछ मामलों में धनोपार्जन हेतु की जाने वाली गतिविधियों के लिए यह लाभदायक सिद्ध हो सकता है ।
शुभ चौघड़िया
बृहस्पति अत्यंत ही शुभ ग्रह है और यह लाभकारी ग्रह माना गया है । इसलिए इसे शुभ के रूप में चिह्नित किया जाता है । शुभ चौघड़िया को विशेष रूप से विवाह समारोह आयोजित करने के लिए उपयुक्त माना जाता है ।
रोग चौघड़िया
मंगल एक क्रूर और अनिष्टकारी ग्रह है । इसलिए इसे रोग के रूप में चिह्नित किया गया है । रोग चौघड़िया के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए । लेकिन युद्ध में शुत्र को हराने के लिए रोग चौघड़िया की अनुशंसा की जाती है ।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Ans : चौघड़िया शब्द दो शब्दों का मेल है – चो, अर्थात् चार, और घड़िया, यानी घड़ी। हिंदू समय के अनुसार, प्रत्येक घड़ी, 24 मिनट के बराबर है । सूर्योदय से सूर्यास्त तक 30 घड़ी होती हैं जिन्हें 8 से विभाजित किया गया है । इसलिए, दिन में 8 चौघड़िया मुहूर्त और 8 रात्रि चौघड़िया मुहूर्त होते हैं । एक चौघड़िया 4 घड़ी (लगभग 96 मिनट) के बराबर होता है । अतः, एक चौघड़िया लगभग 1.5 घंटे तक रहता है ।
Ans : सामान्य रूप से अच्छे चौघड़िए शुभ, चंचल, अमृत और लाभ के माने जाते हैं तथा बुरे चौघड़िये उद्वेग, रोग और काल के माने जाते हैं । चर में चक्र चलाइए उद्वेगे थलगार । शुभ में स्त्री सिंगार करे लाभ करो व्यापार ।
Ans : अमृत चोगडिया चंद्रमा के प्रभाव का समय है । चंद्रमा हिंदू वैदिक ज्योतिष में एक लाभ ग्रह माना जाता है । इसलिए, अमृत चोगडिया को हिंदू ज्योतिष में एक बहुत शुभ समय माना जाता है ।
Ans : एक मुहूर्त लगभग दो घड़ी के या 48 मिनट के बराबर होता है । अमृत/जीव मुहूर्त और ब्रह्म मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ होते हैं ; ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से पच्चीस नाड़ियां पूर्व, यानि लगभग दो घंटे पूर्व होता है । यह समय योग साधना और ध्यान लगाने के लिये सर्वोत्तम कहा गया है ।
Ans : जब कोई मुहूर्त नहीं निकल रहा हो और किसी कार्य को शीघ्रता से आरंभ करना हो अथवा यात्रा पर जाना हो तो उसके लिए चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य करना या यात्रा करना उत्तम होता है । दिन और रात के आठ-आठ हिस्से का एक चौघड़िया होता है ।
Ans :मुहूर्त शास्त्र में दिन एवं रात्रि के समय को 15-15 मुहूर्तों में बांटा गया है । इन मुहूर्तों के अपने-अपने गुण एवं दोष हैं । इन मुहूर्तों में से एक है अभिजित मुहूर्त । दिन का आठवां मुहूर्त अभिजित होता है और यह मघ्याह्न के समय यह आता है ।
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निष्कर्ष
उम्मीद है की आपको पता चल गया होगा की चौघड़िया क्या हैं और अगर आपके मन में इस पोस्ट के बारे में कोई भी सवाल है तो आप हमें कमेंट कर सकते है और अगर यह पोस्ट पसंद आये तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करे ।