जब आप jewellery लेते हैं, तो आपने BIS Hallmark ज्वेलरी पर जरूर देखा होगा। यह शुद्धता की निशानी है। बी आई एस होल मार्क purity को दिखाता है। इसलिए आपको सलाह दी जाती है, कि बी आई एस हॉल मार्क वाला ही गहना लेना चाहिए।
आज की post मे आप BIS Full Form — BIS का फुल फॉर्म क्या है? के बारे में जानेंगे।
BIS Full Form — BIS का फुल फॉर्म क्या है?
BIS का पूरा नाम Bureau of Indian standard है। जिसको हिंदी में भारतीय मानक ब्यूरो कहते हैं। बी आई एस हॉल मार्क के जरिए बहुमूल्य धातुओं पर मोहर लगाई जाती है। जोकि purity की गारंटी देता है।
क्योंकि आजकल market मे इतनी मिलावट है, यह देख पाना बहुत बड़ा मुश्किल है, क्या नकली है और क्या असली। मुख्य रूप से gold, Platinum, silver जैसी धातुओं पर बी आई एस होल मार्क लगाया जाता है। क्योंकि इन धातुओं की मांग ज्यादा है।
BIS हॉल मार्क भारत के साथ-साथ विदेशों में भी।
BIS हॉल मार्क, वैसे तो भारत का मानक है। लेकिन ऐसे ही मानक पूरे विश्व में मौजूद है। बीआईएस हॉल मार्क Gold के 22 कैरेट के लिए 966 कोड है। ऐसे ही बी आई एस हॉल मार्क 18 कैरेट के लिए भी है।
जब हम किसी चीज का standard तय कर देते हैं, तो मिलावट से बचना आसान हो जाता है। क्योंकि कई बार लोगों के साथ महत्वपूर्ण धातुओं मे बिना जानकारी के मिलावट हो सकती है। ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए ही BIS हॉल मार्क लाया गया है।
BIS hallmarking का सही-सही पता लगाने के लिए, आपको सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों को देखना जरूरी है। आजकल विज्ञापन के जरिए भी उपभोक्ताओं को BIS hallmarking की जानकारी दी जाती है। ताकि उनके साथ कुछ भी गलत ना हो।
BIS होलमार्क की शुरुआत कब की गई?
बी आई एस होल मार्क की शुरुआत 1 अप्रैल 1987 को Parliament amendment के द्वारा की गई। B I S Hallmark का हेड क्वार्टर New Delhi मे है। नई दिल्ली के अलावा उसके 5 क्षेत्रीय कार्यालय भी है। जिनमे
- मुंबई
- चेन्नई
- कोलकाता
- दिल्ली
- चंडीगढ़
इन क्षेत्रीय कार्यालय के अलावा b I s Hallmark के अन्य 20 शाखा कार्यालय भी है। Gold के लिए बी आई एस हॉल मार्क की शुरुआत 2000 में हुई थी। जबकि चांदी के लिए बी आई एस होल मार्क की शुरुआत 2005 से सरकार द्वारा शुरू की गई है।
BIS का लाभ क्या है?
बी आई एस हॉल मार्किंग के बहुत सारे लाभ है। इसके बारे में जानकारी आपको नीचे दी जा रही है।
- बी आई एस हॉल मार्किंग का उपयोग महंगी धातुओं की शुद्धता को बनाए रखने के लिए होता है। जो आपको गारंटी देता है, कि आपके द्वारा खरीदा जाने वाला सामान बिल्कुल सही है।
- साथ ही BIS hallmarking आपके सामान को मिलावट से बचाती है। आजकल हर जगह मिलावट होती है। ऐसे में शुद्धता को मापना बड़ा मुश्किल होता है। लेकिन आप BIS hallmarking के जरिए आसानी से purity जाँच सकते हैं।
- अगर हमारे देश में मिलावटी सामान कम या बिल्कुल खत्म हो जाएगा, तो हमारे देश की अर्थव्यवस्था बहुत ऊंची चली जाएगी। क्योंकि मिलावटी सामान से उपभोक्ता अपने आप को ठगा हुआ महसूस करेगा। इसलिए चीजों की शुद्धता जांचने हेतु BIS hallmarking बहुत अच्छा विकल्प है।
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FAQ
Ans : BIS का पूरा नाम Bureau of Indian standard है। जिसको हिंदी में भारतीय मानक ब्यूरो कहते हैं।
Ans : बी आई एस होल मार्क की शुरुआत 1 अप्रैल 1987 को Parliament amendment के द्वारा की गई।
अंतिम शब्द
उम्मीद है की आपको पता चल गया होगा की BIS का फुल फॉर्म क्या होता है और अगर आपको BIS के बारे में सभी तरह की जानकारी मिल गयी होगी तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर करे और कोई सवाल है तो निचे कमेंट में पूछ सकते है ।