नाटो (NATO) क्या है: आज का हमारा आर्टिकल नाटो से संबंधित है जैसे कि आप जानते हैं। रूस और यूक्रेन के बीच में तनाव काफी चरम पर है और इन दोनों देश के बीच में भयंकर युद्ध भी छिड़ा हुआ है और इसकी वजह जब भी आप सुनते हैं तो नाटो ही बताई जाती है। नाटो के बारे में सुनकर यह सवाल आपके मन में आता होगा कि आखिर यह नाटो क्या है।
जिसकी वजह से इतना बड़ा युद्ध चल रहा है तो आज हम आपको इस आर्टिकल में नाटो से संबंधित काफी जानकारी देने वाले हैं। हम आपको बताएंगे नाटो क्या है फुल फॉर्म और इनमें कौन-कौन से देश शामिल है। आपको इस आर्टिकल में हम यह सारी जानकारी देंगे। जिससे आपको नाटो से संबंधित सभी जानकारी मिल सके।
नाटो क्या है ?
नाटो का मतलब उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन है। यह एक संधि के तहत बना हुआ अंतर सरकारी सैन्य संगठन है। जिसमें उत्तरी अमेरिका और यूरोप के साथ 30 स्वतंत्र देश इसमें शामिल हैं। नाटो की स्थापना की बात की जाए तो इसकी स्थापना मार्च 1949 में फ्रांस और यूनाइटेड किंग्डम के बीच हुई।
जब सोवियत संघ के जर्मनी में हमले करने की स्थिति के बाद यह गठबंधन बनाने के लिए डनकर्क की संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे और अगले कुछ वर्षों में संधि का विस्तार किया गया और जैसे-जैसे वर्ष बीतते गए और वैसे वैसे अगले कुछ वर्षों में संधि का विस्तार किया गया और नोटों में और भी देश शामिल किए गए। इस संधि को वॉशिंगटन संधि के नाम से भी जाना जाता है। जिस पर अप्रैल 1949 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। नाटो का उद्देश्य इसके सदस्य को सामूहिक सुरक्षा प्रदान करना है।
नाटो का उद्देश्य
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ से उत्पन्न खतरे का मुकाबला करने के लिए एक संगठन के बीच संधि की गई। इसका उद्देश्य यूरोप में शांति सुनिश्चित करना और जो इस संगठन से जुड़े सदस्य है। उनके बीच सहयोग को बढ़ावा देना और उनकी आजादी की सुरक्षा करना है।
1949 में वाशिंगटन में गठबंधन की स्थापना संधि में एक दर्जन यूरोप और उत्तरी अमेरिकी देशों द्वारा इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह अपने मित्र् राष्ट्र को लोकतंत्र व्यक्तिगत आजादी और कानून के शासन और उसके साथ यह विवादों का समाधान करने के लिए यह प्रतिबंधित करता है। इस संगठन का महत्व पूर्ण उदय से यह भी है।
इस संधि के तहत सामूहिक सुरक्षा के विचार को निर्धारित करता है। मतलब अगर नाटो से संबंधित किसी एक देश पर भी हमला होता है तो वह नाटो के सभी देशों पर हमला माना जाएगा अटलांटिक संधि संगठन यह सुनिश्चित करता है कि यूरोप के सदस्य देशों की सुरक्षा अविभाज्य रूप से उत्तरी अमेरिकी सदस्य देशों से जुड़ी हुई है। यह संगठन पूरे अटलांटिक में वार्ता और सहयोग के लिए काफी बेहतरीन मंच प्रदान करता है।
नाटो की फुल फॉर्म
नाटो की फुल फॉर्म नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन है और इसका हिंदी में अर्थ उत्तर अटलांटिक संधि संगठन है।
नाटो में कौन-कौन से देश शामिल हैं
जब 1949 में नाटो की स्थापना हुई थी तो उसमें कम देश शामिल थे आज इन देशों की संख्या 30 तक पहुंच गई है वह 30 निम्नलिखित हैं।
- अल्बानिया
- बेल्जियम
- बुल्गारिया
- कनाडा
- क्रोएशिया
- चेक रिपब्लिक
- डेनमार्क
- एस्तोनिया
- फ्रांस
- जर्मनी
- ग्रीस
- हंगरी
- आइसलैंड
- इटली
- लातविया
- लिथुआनिया
- लक्जमबर्ग
- मोंटेनीग्रो
- नीदरलैंड्स
- नॉर्थ मेसिडोनिया
- नॉर्वे
- पोलैंड
- पुर्तगाल
- रोमानिया
- स्लोवाकिया
- स्लोवेनिया
- स्पेन
- तुर्की
- यूनाइटेड किंग्डम
- यूनाइटेड स्टेट्स
नाटो संगठन की संरचना
नाटो संगठन किस संरचना की बात की जाए तो यह 4 अंगों से मिलकर बनी हुई है।
परिषद
यह नाटो का सबसे उच्चतम अंग होता है। इसका निर्माण राज्यों के मंत्रियों से मिलकर होता है। इसकी बैठक साल में एक बार होती है। इसका मुख्य काम समझौते की धाराओं को लागू कराना होता है।
उप परिषद
परिषद से निचला अंग उप परिषद का होता है। यह नाटो के सदस्य देशों द्वारा एक कूटनीतिक प्रतिनिधियों का परिषद होता है। इसका काम नाटो के सामान्य हितों के विषय पर विचार करना है।
प्रतिरक्षा समिति
उप परिषद से निकला अंग प्रतिरक्षा समिति है। इसमें प्रतिरक्षा मंत्री शामिल होते हैं। जिसका मुख्य कार्य प्रतिरक्षा, रणनीति, नाटो और गैर नाटो देशों में जितने भी सैन्य संबंधी विषय होते हैं। उनके बारे में यह विचार विमर्श करते हैं।
सैनिक समिति
प्रतिरक्षा से निकले अंग की बात की जाए तो सैनी समिति का नाम आता है। इसका मुख्य उद्देश्य नाटो परिषद एवं उसकी प्रतिरक्षा समिति को सलाह देने का होता है। इस समिति में नाटो में शामिल सभी देशों के सेनाध्यक्ष शामिल होते हैं।
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FAQ
Ans :28 यूरोपीय देशों और 2 उत्तरी अमेरिकी देशों के बीच इसे बनाया गया है।
Ans : नाटो का मुख्यालय ब्रसेल्स बेल्जियम में स्थित है।
Ans : नाटो संगठन इतना बड़ा है उसमें खर्चा तो जरूर आता होगा। अगर आप यह भी जानना चाहते होंगे कि नाटो की फंडिंग करता कौन है तो नाटो की फंडिंग जो इसके सदस्य देश हैं। उनके द्वारा ही की जाती है। लेकिन इन देशों में सबसे ज्यादा नाटो को फंडिंग संयुक्त राज्य अमेरिका करता है और तों और नाटो की फंडिंग की बैकबोन संयुक्त राज्य अमेरिका को कहा जाता है। नाटो फंड में तीन चौथाई भाग संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ही किया जाता है।
Ans : आप भी जानना चाहते होंगे कि नाटो के जो महासचिव का नाम क्या है तो हम आपको बता दें नॉर्वे के जो पूर्व प्रधानमंत्री जेंस स्टोलटेनबर्ग हैं। उन्होंने 1 अक्टूबर 2014 को नाटो में महा सचिव का पदभार संभाला था। स्टोलटेनबर्ग के मिशन को 4 साल के कार्यालयों के लिए बढ़ा दिया गया है और वह अब 30 सितंबर 2022 तक नाटो के महासचिव रहने वाले हैं।
निष्कर्ष
आज का हमारा आर्टिकल नाटो से संबंधित था। इसमें हमने आपको बताया नाटो क्या है फुल फॉर्म इन में कौन-कौन से देश शामिल है और आपके मन में जुड़े नाटो से संबंधित काफी सारे ऐसे सवाल होंगे। जिनकी जानकारी आपको इस एक आर्टिकल में मिल गई होगी। अगर आप ऐसे ही इनफॉर्मेटिव पोस्ट पाना चाहते हैं। आप हमारे ब्लॉग को फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमें अपना कोई सुझाव देना चाहते हैं या फिर हमसे कुछ जानना चाहते हैं। आप हमें कमेंट कर सकते हैं।