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साहित्य लहरी किसकी रचना है | Sahitya Lahari Kiski Rachna Hai
साहित्य लहरी 118 पदों की महाकवि सूरदास की एक लघु रचना है । इसके अन्तिम पद में सूरदास का वंशवृक्ष दिया है, जिसके अनुसार सूरदास का नाम ‘सूरजदास‘ है और वे चन्दबरदायी के वंशज सिद्ध होते हैं । अब इसे प्रक्षिप्त अंश माना गया है ओर शेष रचना पूर्ण प्रामाणिक मानी गई है ।
इसमें रस, अलंकार और नायिका-भेद का प्रतिपादन किया गया है । इस कृति का रचना-काल स्वयं कवि ने दे दिया है जिससे यह संवत् 1607 विक्रमी में रचित सिद्ध होती है । रस की दृष्टि से यह ग्रन्थ विशुद्ध श्रृंगार की कोटि में आता है ।
सूरदास का जीवन परिचय
सूरदास हिन्दी के भक्तिकाल के महान कवि थे । हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं । सूरदास जन्म से अंधे थे या नहीं, इस संबंध में विद्वानों में मतभेद है ।
सूरदास का जन्म 1478 ई में रुनकता क्षेत्र में हुआ । यह गाँव मथुरा-आगरा मार्ग के किनारे स्थित है । कुछ विद्वानों का मत है कि सूर का जन्म दिल्ली के पास सीही नामक स्थान पर एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था ।
वह बहुत विद्वान थे,उनकी लोग आज भी चर्चा करते है । मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे । सूरदास के पिता, रामदास बैरागी प्रसिद्ध गायक थे ।
हिंदी काव्य
सूरदास जी द्वारा लिखित पाँच ग्रन्थ बताए जाते हैं:-
(1) सूरसागर – जो सूरदास की प्रसिद्ध रचना है। जिसमें सवा लाख पद संग्रहित थे । किंतु अब सात-आठ हजार पद ही मिलते हैं ।
(2) सूरसारावली
(3) साहित्य-लहरी – जिसमें उनके कूट पद संकलित हैं।
(4) नल-दमयन्ती
(5) ब्याहलो
साहित्य लहरी से जुड़े तथ्य
अभी तक आपको पता चल गया होगा की साहित्य लहरी को सूरदास जी ने लिखा था तो साहित्य लहरी से जुड़े कुछ तथ्य है जिसके बारे में निचे बताया गया है ।
- यह 118 पदों की महाकवि सूरदास की एक लघु रचना है ।
- इसके अन्तिम पद में सूरदास का वंशवृक्ष दिया है, जिसके अनुसार सूरदास का नाम सूरजदास है और वे चंदबरदाई के वंशज सिद्ध होते हैं ।
- अब इसे प्रक्षिप्त अंश माना गया है ओर शेष रचना पूर्ण प्रामाणिक मानी गई है ।
- इसमें रस, अलंकार और नायिका-भेद का प्रतिपादन किया गया है ।
- इस कृति का रचना-काल स्वयं कवि ने दे दिया है जिससे यह संवत् विक्रमी में रचित सिद्ध होती है ।
- रस की दृष्टि से यह ग्रन्थ विशुद्ध श्रृंगार की कोटि में आता है ।
सूरदास के बारे में रोचक तथ्य
- इनके जन्म के स्थान को लेकर लोगों में मतभेद है ।
- वह जन्म से दृष्टिहीन थे इस बात को लेकर भी एकमत नहीं है ।
- ये अपने गुरु वल्लभाचार्य के आठवें शिष्यों में सबसे प्रिय शिष्य थे ।
- कृष्ण भक्त कवियों में सूरदास जी का नाम अग्रणी रूप से लिया जाता है ।
- सूरसागर इन की प्रसिद्ध रचना है ।
- ऐसा माना जाता है कि सूरसागर में सूरदास जी ने लगभग एक लाख पद लिखे थे लेकिन वर्तमान में लगभग पांच हजार पद ही मिलते हैं ।
- इसके अतिरिक्त सूर्य सारावली और साहित्य लहरी की भी रचना की है ।
- छः वर्ष की अवस्था में है उन्होंने पिता की आज्ञा लेकर घर छोड़ दिया था ।
- कहा जाता है कि उनके गुरु वल्लभाचार्य उन्हें अपने साथ गोवर्धन पर्वत मंदिर पर ले जाते थे जहां भी श्रीनाथ जी की सेवा करते थे और हर दिन नए पद बनाकर एक तारे के माध्यम से उसका गायन करते थे ।
- वल्लभाचार्य ने ही सूरदास को कृष्ण लीला का गुणगान करने की सलाह दी ।
- इससे पहले वे केवल दैन्य भाव से विनय के पद रचा करते थे ।
- इनके बारे में एक रोचक तथ्य यह भी है कि एक बार कृष्ण की भक्ति में इतना डूब गए थे कि वह एक कुएं में जा गिरे जिसके बाद भगवान कृष्ण ने खुद उनकी जान बचाई और उनके अंतःकरण में दर्शन भी दिए ।
- कहा तो यहां तक जाता है कि जब कृष्ण ने सूरदास की जान बचाई तो उनकी नेत्र ज्योति लौटा दी थी ।
- इस तरह सूरदास ने इस संसार में सबसे पहले अपने आराध्य प्रिय श्री कृष्ण को ही देखा था ।
- कहते हैं कृष्ण ने सूरदास की भक्ति से प्रसन्न होकर जब उनसे वरदान मांगने को कहा तो सूरदास ने कहा कि मुझे सब कुछ मिल चुका है आप फिर से मुझे अंधा कर दें ताकि आप के अलावे किसी की सूरत मेरी आंखों में न बसे ।
- कहीं-कहीं इस बात का उल्लेख भी मिलता है कि अकबर के नौ रत्नों में से एक संगीतकार तानसेन ने सम्राट अकबर और महाकवि सूरदास की मथुरा में मुलाकात भी करवाई थी ।
- सूरदास की रचनाओं में कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति का वर्णन मिलता है ।
- इनका दूसरा महत्वपूर्ण ग्रंथ सूर्य सारावली है जिसमें 1107 छंद है ।
- इस ग्रंथ में भी कृष्ण के प्रति सूरदास का अलौकिक प्रेम झलकता है ।
- साहित्य लहरी इनकी एक अन्य रचना है ।
- साहित्य लहरी के आखिरी पद में सूरदास ने अपने वंश वृक्ष के बारे में बताया है जिसके अनुसार उनका नाम बचपन में सूरज दास था। सूरदास नेअपने को चंदबरदाई का वंशज बताया है ।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Ans : साहित्य लहरी सूरदास की रचना है ।
Ans : सूरदास की सर्वसम्मत प्रामाणिक रचना ‘सूरसागर‘ है ।
Ans : हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं । सूरदास जन्म से अंधे थे या नहीं, इस संबंध में विद्वानों में मतभेद है ।
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अंतिम शब्द
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